लोगों की भीड़ पूरे जोश में है- ये बात और है कि कभी-कभी वे सिर्फ़ बारिश की बूदों के सिवा कुछ नहीं देख पाते. कहा जा रहा है कि टीवी पर इसे देखने वाले दर्शकों की संख्या भी बढ़ रही है और मीडिया भी इसे ख़ूब तूल दे रहा है.
लेकिन सितारों के सितारे- वो हस्ती जिसने भारतीयों को उसका पसंदीदा नारा दिया 'चक दे इंडिया'- वो इस सब के बीच से ग़ायब है.
कई मायनों में शाहरुख़ खान अब तक आईपीएल का चेहरा रहे हैं - बच्चों का सा उत्साह लिए लेकिन बहुत ही जीवंत, लोगों को अपनी टीम के समर्थन में जुटाते और उन्हें उन्माद और पागलपन की हद तक ले जाते.
स्टेडियम में अपनी टीम का उत्साह बढा़ने वाली उनकी भाव-भंगिमाएँ देखते ही बनती थी. उन्होंने हज़ारों की संख्या में लोगों को स्टेडियम और टीवी सेट की तरफ़ खींचा लेकिन उनकी अपनी टीम फ़्लॉप साबित हुई.
किंग खान की ग़ैर मौजूदगी
रियल और रील को मिलाने की कोशिश में जुटे आईपीएल की सफलता दरअसल एक मानवीय ड्रामा के जैसी है जहाँ स्क्रिप्ट उल्टी-पुल्टी हो गई और किंग खान नज़रों से ओझल हो गए |
रियल और रील को मिलाने की कोशिश में जुटे आईपीएल की सफलता दरअसल एक मानवीय ड्रामा के जैसी है जहाँ स्क्रिप्ट उल्टी-पुल्टी हो गई और किंग खान नज़रों से ओझल हो गए.
पहला वार उनकी टीम ने ही किया. चक दे गर्ल्स की तरह उनकी टीम शाहरुख़ की वेवलेंथ से कदमताल नहीं कर सकी.
इसके बाद शाहरुख़ को अपनी टीम के ड्रेसिंग रूम से जाने के लिए कहा गया क्योंकि ये आईसीसी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन था.
ज़रा सोचिए वो नज़ारा. शाहरुख़ ईडन गार्डन में सिर्फ़ अपनी ऊंगली के इशारे से हज़ारों लोंगों को काबू में कर सकते हैं और अपने चेहरे-मोहरे से दुनिया में लाखों लोगों को अपना दीवाना बना सकते हैं लेकिन एक अंजान-अनभिज्ञ सुरक्षा अधिकारी उन्हें ड्रेसिंग रूम से जाने के लिए कह देता है.
ज़ाहिरा तौर पर आहत हुए शाहरुख़ के पास अंचभित होने का हर कारण था-भले ही वे टीम के मालिक न भी होते.
उनकी ये प्रतिक्रिया कि ‘मैं भ्रष्ट नहीं हूँ’- इसने उन लोगों का भी दिल छू लिया है जो उनके मुरीद नहीं है.
अगर यही बर्ताव अंबानी या माल्या के साथ किया गया होता तो किसी को बुरा नहीं लगता. लेकिन शाहरुख़ खान को ये एहसास दिलवाना कि वो भी एक आम इंसान है और कसूरवार हैं, इसने उन्हें अंदर से झकझोर दिया होगा.
आईसीसी की चिंता
लेकिन ऐसा हुआ क्यों? इसे समझने के लिए आपको आईसीसी की भ्रष्टाचार-निरोधी इकाई के पीछे की अवधारणा समझनी होगी.
इसका गठना मैच फ़िक्सिंग घोटाले के तुरंत बाद किया गया था. भ्रष्टाचार-निरोधी इकाई का मकसद खिलाड़ियों के ड्रेसिंग रूम को किसी भी बाहरी तत्वों और प्रभाव से अलग रखना है.
यहाँ हमें बुकी-खिलाड़ियों के बीच साठगांठ को करीब से समझने वाले या फिर आईसीसी के कुछ अपने लोगों की बात समझनी होगी.
ये सब लोग मानते हैं कि चूँकि आईपीएल के खिलाड़ी अपने देश के लिए नहीं खेल रहे हैं, इसलिए मैच के नतीजों में हेर-फेर करवाने की कोशिश करने वाली ताकतों के लिए आईपीएल खिलाड़ी कमोबेश आसान निशाना हो सकते हैं.
शाहरुख़ जैसे लोग दिखा सकते हैं राह
टीम के ड्रसिंग रूम में न जाने के विवाद में शाहरुख़ ने परिपक्वता दिखाई है |
आईसीसी की भ्रष्टाचार-निरोधी इकाई मानती है कि खेल में बहुत पैसा है,फैंचाइज़ी और खिलाड़ियों पर भी पैसा लगा है. इसलिए ये और भी ज़रूरी हो जाता है कि दिशा-निर्देश ठीक से लागू हों.
हांलांकि ये लोग आईपीएल की निगरानी नहीं कर रहे लेकिन उनके लिए इतने लोगों की मौजूदगी अवांछनीय थी. इसमें टीम के मालिक, कंपनी के अधिकारी और ललित मोदी-ये सब शामिल है.
शाहरुख़ ने अपनी टीम के लिए अपनी तमाम ऊर्जा झोंक दी है, तहे दिल से वे टीम के साथ रहे. शाहरुख़ समेत आईपीएल की अन्य फ्रेंचाइज़ी के लोगों को पहले से नियमों के बारे में बताया जाना चाहिए था.
वो इसलिए ताकि ऐसे लोगों के लिए कोई तरीका निकाला जा सके जो मैच के दौरान अपनी टीम के साथ रहना चाहते हैं.
ये स्पष्ट है कि शाहरुख़ को ये बात इतनी बुरी लगी है कि उन्होंने तय किया है कि जब उनकी टीम मैच खेल रही होगी तो वे मैदान पर भी मौजूद नहीं रहेंगे.
अपनी टीम को भेजे एक लंबे और भावुक एसएमएस में शाहरुख़ ने साफ़ किया है कि वे कितने आहत हैं. उन्होंने लिखा है कि अब वो ड्रेसिंग रूम में तभी आएँगे जब उनके दिमाग़ में ये बात स्पष्ट हो जाएगी कि ये नियम सही है या नहीं.
लेकिन इस मसले को आयोजकों और अपने बीच किसी विवाद का मुद्दा न बनाकर शाहरुख़ ने परिपक्वता का परिचय दिया है.
अगर आईपीएल को भविष्य में बड़े विवादों से दूर रहना है तो शाहरुख़ जैसे लोग ही रास्ता दिखा सकते हैं और फ़ैसले करने की उस प्रक्रिया का हिस्सा बन सकते हैं जिससे ड्रेसिंग रूम में जाने का कोई सही कोड बन सके.
हमें एक बात मान लेनी चाहिए कि आख़िरकर आईपीएल का मकसद केवल उससे जुड़े लोगों के लिए पैसा जुटाना है- चाहे वो खिलाड़ी हों, मालिक हों या फिर भारतीय क्रिकेट बोर्ड.
ये विशुद्ध रूप से व्यवसायिक गतिविधि है और इसमें नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा ताकि आईपीएल अंत में अपने ही लालच का शिकार न बन जाए.
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